ईसबगोल
(Plantago ovata, Forssk)
| कुल : Plantaginaceae हिन्दी नाम : ईसबगोल यूनानी : ईसबगुल अंग्रेजी नाम : Psyllium, Blond plantain, Desert India wheat उपयोगी भाग : बीज कवच (भूसी) |

उपयोगी भाग
इसका उपयोग पुराने अजीर्ण के साथ-साथ पुराने अतिसार (diarrhoea), पेचिश (dysentery), बडी ऑत में होने वाले ब्रणयुक्त सूजन (ulcerative colitis), पेट दर्द, अफारा, बबासीर जैसे रोगों के उपचार में भी किया जाता है। ईसबगोल शरीर के वजन को भी नियन्त्रित करता है। जनन-मूत्रीय पथ (genito-urinary tract) में श्लेष्मश्राव अवस्था (catarrhal condition) वाले रोगियों को भी ईसबगोल के सेवन से लाभ होना पाया गया है। इसका जैली जैसा लासा (mucilage) ऑतो मे एकत्र विषाक्त पदार्थों को अवशोषित कर उन्हे साफ व स्वस्थ बनाता है। यह रक्त में कोलेस्टोल तथा लिपिडस के स्तर को कम करने तथा धमनियों में वसा के जमाव (atherosclerosis) की रोकथाम में सहायक सिद्ध हुआ है। अतः उच्च रक्तचाप तथा हृदय के अन्य रोगों की रोकथाम तथा उपचार में भी इसे उपयोगी माना जाता है।

ईसबगोल के बीज भ्रूण में पाये जाने वाले तेल में 50% तक लिनोलिक अम्ल (linoleic acid) पाया जाता है। इसके किण्वन (fermentation) से ब्यूटायरेट (butyrate) नामक औषधि-सक्रिय (pharmacologically active), लघु श्रृंखलायुक्त वसीय अम्ल प्राप्त होता है। इसमें कई पोलीसेकेराइड्स (polysaccharides)- pentoses, hexoses इत्यादि पाये जाते हैं। इसमें यूरोनिक अम्ल (uronic acid) तथा arabinoxylon जैसे अन्य सक्रिय अवयव भी उपस्थित रहते हैं।